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मनुष्य ईश्वर की नहीं स्वयं की इच्छाओं की कठपुतली है

भाव प्रभाव स्वभाव यह ऐसे 3 शब्द हैं जिससे मनुष्य का संपूर्ण चरित्र व्यवहार कर्म जुड़ा है वह क्या कर चुका है वह क्या कर रहा है और वह क्या करने वाला है समय के यह तीनों प्रारूप भाव प्रभाव व स्वभाव पर निर्भर है
मुझे उदाहरण देकर किसी बात को प्रमाणित करने की आदत नहीं है क्योंकि मेरा सच कभी बदलेगा नही
हम सभी स्वयं को स्वतंत्र समझते हैं पर मेरे अनुसार हम स्वयं से परतंत्र मनुष्य और कोई नहीं है।
हम तो कठपुतली है, गुलाम है, दास है, अपनी ही इच्छाओं के जो उम्र भर हमें भयभीत, चिंतित ओर परेशान करती है आंख नाक कान जीभ और स्पर्श पर हमारा नियंत्रण नहीं है।
अब बस इतनी सी बात समझनी है कि देखिए आप मैं और हम सभी कहां थे और कहां आ गए।
यही भाव प्रभाव और स्वभाव है जहां पर एक शब्द से मन का भाव बदल जाता है रूप आकर्षण शक्ति पाकर प्रभाव बदल जाता है सत्य ज्ञान आनंद में डूब कर स्वभाव बदल जाता है हम सभी जन्म लेते हैं जीवन जीते हैं और समाप्त होते हैं बस इतना ही अनुभव इतना ही आनंद। सत्य नहीं है, सत्य तो अनंत हैं, उसका कोई पार नहीं है, वह हम सब के विपरीत अवश्य हैं, पर सत्य है और वही सत्य हैं, जो सदा से सत्य है।

धन्यवाद

#chetanshrikrishna

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13 Comments

शानदार लेख Outstanding

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Saba Rahman

26-Jul-2022 11:45 PM

Nice

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Khan

26-Jul-2022 10:55 PM

Nice

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